नमस्ते
WS 20 January 2023,
हम मानते हैं सबको बराबर;
कर्तव्य और अधिकार हैं सब के बराबर।।
पर ऐसा हर कोई मानता नहीं;
और हर मान्यता भी इस प्रकार नहीं।।
फिर आदर्श-न्याय का एक रूप कैसे हो;
फिर आदर्श-व्यवस्था पर सहमति कैसे हो।।
वर्तमान में मानव समाज का जो स्तर है;
मानव कृत व्यवस्था का जो स्तर है।
इस पृष्ठभूमि में;
हम अपने अंदर की जानवर प्रवृत्ति को अनुचित कैसे घोषित कर दें;
इसके औचित्य को लेकर विचार करना कैसे बंद कर दें।।
यदि मानव समाज से, व्यवस्था से न्याय न मिले, न्याय की आशा न रहे।
उस स्थिति में;
न्याय हेतु अन्य विकल्पों पर सोचना कैसे बंद कर दें।।
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